श्री हनुमान जी की आरती (Hanuman Ji Ki Aarti): सम्पूर्ण पाठऔर महत्व

श्री हनुमान जी की आरती का परिचय (Introduction)

भगवान श्री हनुमान जी की आरती उनके बल, बुद्धि, विद्या और भक्ति की गाथा है। ‘आरती कीजै हनुमान लला की’ सबसे प्रसिद्ध और भक्तों के हृदय में बसी हुई आरती है। हनुमान जी को कलयुग का साक्षात् देवता माना जाता है, जिनकी पूजा और आरती से सभी प्रकार के कष्ट, भय और रोग दूर हो जाते हैं। यह आरती केवल एक पूजा विधि नहीं है, बल्कि यह रामभक्त हनुमान के चरणों में भक्तों की अटूट श्रद्धा और प्रेम का समर्पण है।

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श्री हनुमान जी की आरती

॥ श्री हनुमंत स्तुति ॥

मनोजवं मारुत तुल्यवेगं,
जितेन्द्रियं, बुद्धिमतां वरिष्ठम् ॥

वातात्मजं वानरयुथ मुख्यं,
श्रीरामदुतं शरणम प्रपद्धे ॥

॥ आरती ॥

आरती कीजै हनुमान लला की ।
दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ॥

जाके बल से गिरवर काँपे ।
रोग-दोष जाके निकट न झाँके ॥

अंजनि पुत्र महा बलदाई ।
संतन के प्रभु सदा सहाई ॥

आरती कीजै हनुमान लला की ॥

दे वीरा रघुनाथ पठाए ।
लंका जारि सिया सुधि लाये ॥

लंका सो कोट समुद्र सी खाई ।
जात पवनसुत बार न लाई ॥

आरती कीजै हनुमान लला की ॥

लंका जारि असुर संहारे ।
सियाराम जी के काज सँवारे ॥

लक्ष्मण मुर्छित पड़े सकारे ।
लाये संजिवन प्राण उबारे ॥

आरती कीजै हनुमान लला की ॥

पैठि पताल तोरि जमकारे ।
अहिरावण की भुजा उखारे ॥

बाईं भुजा असुर दल मारे ।
दाहिने भुजा संतजन तारे ॥

आरती कीजै हनुमान लला की ॥

सुर-नर-मुनि जन आरती उतरें ।
जय जय जय हनुमान उचारें ॥

कंचन थार कपूर लौ छाई ।
आरती करत अंजना माई ॥

आरती कीजै हनुमान लला की ॥

जो हनुमानजी की आरती गावे ।
बसहिं बैकुंठ परम पद पावे ॥

लंक विध्वंस किये रघुराई ।
तुलसीदास स्वामी कीर्ति गाई ॥

आरती कीजै हनुमान लला की ।
दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ॥

॥ इति संपूर्णंम् ॥

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हनुमान आरती का महत्व (Importance of Hanuman Aarti)

हनुमान जी की आरती का पाठ करने से कई आध्यात्मिक और भौतिक लाभ होते हैं:

  1. संकटों से मुक्ति: हनुमान जी को ‘संकटमोचन’ कहा जाता है। नियमित आरती से सभी तरह के भय, संकट और जीवन की बाधाएँ दूर होती हैं।
  2. ग्रह दोष निवारण: विशेष रूप से शनि (Shani) और मंगल (Mangal) दोष से पीड़ित जातकों को हनुमान जी की आरती करने की सलाह दी जाती है।
  3. नकारात्मकता का नाश: आरती की ध्वनि और भाव से घर तथा मन की नकारात्मक ऊर्जा (Negative Energy) समाप्त होती है और सकारात्मकता का संचार होता है।
  4. आत्मबल और साहस: आरती का पाठ करने से भक्तों के अंदर अद्भुत आत्मविश्वास, बल और साहस का संचार होता है।
  5. मनोकामना पूर्ति: सच्चे मन और श्रद्धा से आरती करने वाले भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं, क्योंकि हनुमान जी शीघ्र प्रसन्न होने वाले देवता हैं।

हनुमान आरती की सही विधि (Correct Ritual for Hanuman Aarti)

हनुमान जी की आरती करते समय इन 8 बातों का ध्यान रखें:

  1. शुभ दिन: मंगलवार और शनिवार को आरती करना अत्यंत फलदायी होता है।
  2. स्वच्छता: आरती से पहले स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें।
  3. दीये की संख्या: आरती के लिए घी या कपूर का दीया जलाएँ। दीये में 1, 5 या 7 बाती (रूंई) का प्रयोग करें।
  4. थाली सामग्री: आरती की थाली में दीपक, फूल, अक्षत (साबुत चावल), रोली और प्रसाद (बूंदी या लड्डू) अवश्य रखें।
  5. भक्ति भाव: पूर्ण श्रद्धा और एकाग्रता के साथ हनुमान जी की आरती गाएँ।
  6. थाली घुमाना: आरती की थाली को भगवान के सामने दक्षिणावर्त (Clockwise) दिशा में घुमाएँ।
  7. नाद: आरती के दौरान शंख और घंटी बजाना बहुत शुभ माना जाता है।
  8. आरती लेना: आरती समाप्त होने पर, सभी लोगों को दोनों हाथों से थाली के ऊपर हाथ फेरते हुए (दीपक का प्रकाश) आरती लेनी चाहिए और फिर प्रसाद बाँटना चाहिए।

HANUMAN AARTI FAQ

  • हनुमान जी की आरती विशेष रूप से मंगलवार और शनिवार के दिन करनी चाहिए। हालाँकि, आप प्रतिदिन सुबह या शाम को भी यह आरती कर सकते हैं।

  • हनुमान आरती करने से जीवन के सभी संकट, रोग और दोष दूर होते हैं। यह आत्मबल, साहस और सकारात्मकता प्रदान करती है, तथा कुंडली में मंगल और शनि दोष शांत होते हैं।

  • हाँ, महिलाएं पूर्ण श्रद्धा और पवित्रता के साथ हनुमान जी की आरती कर सकती हैं। मासिक धर्म के दौरान केवल दूर से ही मानसिक रूप से उनका स्मरण करना उचित माना जाता है।

  • हनुमान आरती का पाठ सुबह पूजा के बाद या शाम को सूर्यास्त के बाद (प्रदोष काल में) करना सबसे उत्तम माना जाता है।

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